-अजयब्रह्मात्मज
धुएं में लिपटे लाल गुंबद से निकलती सुर्ख लपटों की रोशनी आज भी आखों में कौंधती है और सारा मंजर याद आ जाता है। हालाकि वक्त के साथ जैसे हमारे जख्म भर जाते हैं, वैसे ही शहर भी किसी हादसों से उबर जाता है, फिर भी जख्मों के निशान की तरह हादसों के स्थान हमें बीती घटनाओं की याद दिलाने के साथ ताकीद करते हैं कि भविष्य में वैसी भूलों और दुर्घटनाओं से हम बचें। 26/11 सिर्फ एक तारीख भर नहीं है। इस तारीख के सीने में हमारी हिम्मत और आतंकवादियों की हिमाकत की जोर आजमाइश भी है। आखिर हम जीते थे, लेकिन हम ने कुछ दोस्त भी गंवाए। दो साल बीत गए। आज भी ताज महल पैलेस एंड टॉवर का गुंबद हमारी शक्ति का प्रतीक बना हुआ है। ताज महल पैलेस एंड टॉवर को एक अलग गरिमा मिल गई है। उसका लाल गुंबद हमारे स्वाभिमान का गुंबद बन गया है। पिछले दिनों अमेरिका के राष्ट्रपति ने इसी होटल से भारत की अपनी यात्रा आरंभ की और जोर देकर कहा कि मेरी इस योजना का एक उद्देश्य है। यह स्थान पूरे विश्व के मानस में एक प्रतीक के रूप में अंकित है, इसलिए मैं बताना चाहता हूं कि भविष्य की सुरक्षा और समृद्धि के लिए अमेरिका और भारत एक हैं।
[26/11 दूसरी बरसी]
होटल के सामने गेटवे ऑफ इंडिया है। मुंबई से घूम कर लौटा कोई भी व्यक्ति यह मानेगा कि अगर उसने गेटवे ऑफ इंडिया के सामने दो तस्वीरें खिंचवाईं, तो एक तस्वीर में पीछे यह होटल भी रहा। कोशिश रही कि वह गुंबद दिखे। मुंबई पर्यटन पर आए यात्री पहले सिर्फ कौतूहल और जिज्ञासा से ताज होटल देखते थे। उसकी नई-पुरानी इमारतों के सामने तस्वीरें उतरवाते थे। इस होटल से जुड़ी किंवदंतिया हमारे राष्ट्रीय गर्व का हिस्सा बन चुकी हैं। किस्से सुनाए और बताए जाते हैं कि गुलाम भारत में पाचसितारा होटल खोल कर जेआरडी टाटा ने भारत का गौरव बढ़ाया था। गेटवे ऑफ इंडिया पर टहलने आए हजारों-लाखों यात्रियों के लिए अब ताज होटल कौतूहल से ज्यादा 26/11 की यादें ताजा करता है। अपनी स्मृतियों के पन्ने पलट कर लोग उन दृश्यों की झाकी फिर से देखते हैं, जो उनके दिल-ओ-दिमाग में हमेशा के लिए दर्ज हो गई हैं। हालाकि होटल को स्मारक का रूप नहीं दिया गया है, लेकिन उसका महत्व अब किसी स्मारक की तरह ही है।
ताज महल पैलेस एंड टॉवर के पास ही है लियोपोल्ड कैफे। इस कैफे को भी आतंकवादियों ने निशाना बनाया था। आजादी के पहले से मशहूर यह कैफे मुंबई का मशहूर प्वॉइंट है। 26/11 की घटना के बाद इसका आकर्षण बढ़ गया। गोलियों के निशान मार्क कर दिए हैं। गौर करें तो ताज महल पैलेस एंड टॉवर और लियोपोल्ड कैफे की तरह ही ट्रायडेंट होटल और सीएसटी रेलवे स्टेशन को भी आतंकवादियों ने निशाना बनाया था। लेकिन समय बीतने के साथ प्रतीक और आकर्षण नहीं बन पाए। नरीमन हाउस भी हमारी यादों के हाशिए पर चला गया है। इसकी सीधी वजह यही लगती है कि ताज महल पैलेस एंड टॉवर और लियोपोल्ड कैफे 26/11 के हादसे के पहले से मशहूर थे। हां,26 11 के हादसे ने उनकी प्रसिद्धि में नए अध्याय जोड़ दिए हैं,जो ताजा,रोचक और रोमांचक है।
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